कौन है फिर पूछता उसको यहाँ पर।।
कौन है फिर पूछता उसको यहाँ पर।।
मुक्त होने को मुखर हैं सब यहाँ पर
बंधनों से दूर दुनिया है जहाँ पर
पास जाकर देखते ही सब विकल है
कौन किसको पूछता सोचो वहाँ पर।।
बंधनों को तोड़ कर जो है चल पड़ा
कौन है फिर पूछता उसको यहाँ पर।।
कौन है जो पुष्प बस पाया यहाँ पर
कौन तपन में न कुम्हलाया यहाँ पर
स्वेद बूंदों ने लिखे जब गीत मन के
कंटकों में गीत मन गाया यहाँ पर।।
कंटकों से राह के जो डर गया है
कौन है फिर पूछता उसको यहाँ पर।।
पुष्प चरणों मे चढ़े या फिर माथ पर
पुष्प आँचल में भरे या फिर हाथ पर
भावनाओं से सजी है सृष्टि सारी
है सत्य, सारा पथ सँवरता साथ पर।।
निज स्थान के जो भाव को समझा नहीं
कौन है फिर पूछता उसको यहाँ पर।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
18जुलाई,2022
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