पास पाकर तुम्हें जिंदगी मिल गयी।।

पास पाकर तुम्हें जिंदगी खिल गयी।।

सुन समय छुप चला बादलों में कहीं
साँझ ढलने लगी राह में ही कहीं
चाँदनी ओट से बादलों के चली
मन के आगोश में जिंदगी है खिली
एक अहसास से बंदगी खिल गयी
पास पाकर तुम्हें जिंदगी मिल गयी।।

पलकों में स्वप्न की स्वर्ण रेखा सजी
भाव मे मोहिनी रूप रेखा सजी
गीत अधरों पे आकर सजे इस तरह
नेह के पृष्ठ पर गीतिका है सजी
गीत ऐसे सजे ताजगी मिल गयी
पास पाकर तुम्हें जिंदगी मिल गयी।।

आस की पाँखुरी फिर निखरने लगी
रूप की रोशनी में सँवरने लगी
एक पल, एक क्षण, ये सदी, वो सदी
प्रीत की रश्मियाँ फिर बरसने लगी
मन के भावों में सादगी घुल गयी
पास पाकर तुम्हें जिंदगी मिल गयी।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        22जुलाई, 2022

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