लहरायें वन उपवन सारे।
सुखमय जीवन का हर पल हो
खिल जाएं सबकी आशाएँ
स्वच्छ हवा से जग मंगल हो।।
द्वीप-द्वीप हरियाली छाये
कलरव मीठा राग सुनाये
जगती का हर गीत मनोहर
खग-मृग सब हिल मिल गायें।।
स्वच्छ धरा हो पुण्य भाव हो
नहीं कहीं कोई अभाव हो
जन-जन हर्षित मन पुलकित हो
हिय निर्मल निर्झर मृदु स्वभाव हो।।
अंबर से पग-पग शोभित हो
अवनी का कण-कण पोषित हो
लहराये वन उपवन सारे
शुभ गीतों से नभ गुंजित हो।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
28जून, 2022
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