तन्हाई लिख रही गीत थी
पग-पग मेरे जीवन में
कैसा तुमने गीत सुनाया
भाव जगे इस तन मन में।।
क्यूँ मेरे भावों को तड़पाया
क्यूँ कर मुझसे प्यार जताया।।
मेरे साँसों की धड़कन में
अनजाने कुछ गीत सजे थे
मेरी आहों की तड़पन में
सूने मन के गीत सजे थे।।
सूने मन का भाव जगाया
क्यूँ कर मुझसे प्यार जताया।।
अर्द्धरात्रि में चंदा तारे
मधुर मिलन का गीत सुनाते
काश मिलन की इस बेला में
बस कुछ देर ठहर तुम जाते।।
क्षण भर क्यूँकर प्रीत जगाया
क्यूँ कर मुझसे प्यार जताया।।
मेरे अधरों पर अधरों का
तेरे चुंबन अब तक अंकित
मेरे मन के मंदिर में भी
भाव तुम्हारे हैं प्रतिबिंबित।।
क्षण भर क्यूँ कर नेह जगाया
क्यूँ कर मुझसे प्यार जताया।।
निज यादों की पर्णकुटी में
उन्हें सँजो कर अब भी रखा
मैंने अपनी साँसों में वो
महक तुम्हारी अब तक रखा।।
फिर से क्यूँ भावों को जगाया
क्यूँ कर मुझसे प्यार जताया।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
21मई, 2022
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