बनूँ गीत मैं नव जीवन का तेरे अधरों पर बस छाऊँ।।

बनूँ गीत मैं नव जीवन का
तेरे अधरों पर बस छाऊँ।।


बनूँ गीत मैं नव जीवन का
तेरे अधरों पर छा जाऊँ।।

मेरे अधरों पर है आई
मेरे उर की मर्म कहानी
शब्द नहीं कह पाये जो कुछ
कहे आँसुओं ने वो वाणी
उर की बस ये चाह रही
तेरी साँसों में बस जाऊँ
बनूँ गीत मैं नव जीवन का
तेरे अधरों पर बस छाऊँ।।

बस ये मन की चाह रही के
अपनी ये पहचान मृदुल हो
कैसे भी हों पल जीवन के
हर पल के अनुमान मृदुल हों
अनुमानों में घुले भाव सब
पहचानों में यूँ ढल जाऊँ
बनूँ गीत मैं नव जीवन का
तेरे अधरों पर बस छाऊँ।।

अपने स्वर में तेरे स्वर के
राग मिला कर गीत सजाऊँ
चाह यही बस मेरे मन की
गीतों में बस तुमको गाऊँ
तुम्हीं चुनो वो गीत मेरे
जिसको तेरा साज बनाऊँ
बनूँ गीत मैं नव जीवन का
तेरे अधरों पर बस छाऊँ।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        28अप्रैल, 2022

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