छू लिया जिसने हृदय को।

छू लिया जिसने हृदय को।   

कौन गाया गीत ऐसा
छू लिया जिसने हृदय को।।

सुप्त मन के भाव जागे
मौन से किसने जगाया
भाव का लेकर समंदर
कौन है जो पास आया
कौन है जिसकी धमक ने
अंक में बाँधा समय को
कौन गाया गीत ऐसा
छू लिया जिसने हृदय को।।

कौन जिसके आगमन पर
रश्मियाँ पथ को बुहारी
पुष्प-कलियों से सुसज्जित
माँग प्रकृति की सँवारी
कौन सा श्रृंगार जिसने
मोह डाला है अमय को
कौन गाया गीत ऐसा
छू लिया जिसने हृदय को।।

कौन जिसकी इक चमक ने
दामिनी को भी लुभाया
कौन जिसकी छाँव ने भी
सूर्य को पथ है भुलाया
है कौन जिसके प्रीत में
मन चाहता है, विलय हो
कौन गाया गीत ऐसा
छू लिया जिसने हृदय को।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        23अप्रैल, 2022


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