पुकार।

पुकार।  

सोच में पड़े हो क्यूँ
मौन तुम खड़े हो क्यूँ
झूठ के प्रभाव को उखाड़ दो
सत्य का प्रभाव हो
झूठ का अभाव हो
बस यही तो एक ही प्रमाण हो।।

चल पड़े जो पंथ में
कैसा भय फिर दंश से
हाथ मे स्वयं जब कमान है
धर्म की विजय करो
अधर्म से न फिर डरो
धर्म जो जिया वही महान है।।

राम का स्वभाव हो
कृष्ण का प्रभाव हो
शत्रु पर भीम सा दबाव हो
जो चल पड़े रुको नहीं
जो हो खड़े झुको नहीं
शत्रु पर तेरा बस प्रभाव हो।।

जो चला हो सत्य पे
कंटकों से कब डरा
झूठ के प्रलापों से
पंथ से वो कब टरा
हर कदम पे जीत के
बस तेरा ही निशान हो।।

जो लेखनी चले कभी
तो सत्य ही लिखे सदा
राष्ट्र धर्म भावना को
प्राणों में भरे सदा
शून्य में भी उसका ही प्रभाव हो
जिस कलम में धार न हो
जीत की गुहार न हो
उस कलम पे न कोई झुकाव हो।।

वेद हो पुराण हो
या गीता का सार हो
युद्ध मे हो जब खड़े
न मन पे कोई भार हो
युद्ध का समय हो या
कि शांति का चुनाव हो
जो सत्य की विजय करे
वही तो बस महान है।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        14अप्रैल, 2022

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