लेखन से व्यवहार करूँगा।
अस्त्र-शस्त्र के वारों का लेखन से व्यवहार करूँगा।।
और नहीं कुछ पास हमारे
जिसका मैं गुणगान करूँ
अँजुरी में कुछ शब्द पड़े हैं
जिन पर बस अभिमान करूँ
इन शब्दों की ढाल बना गीतों में व्यवहार करूँगा
अस्त्र-शस्त्र के वारों का लेखन से व्यवहार करूँगा।।
धन-दौलत का जोर नहीं है
स्याही ही बस ताकत है
होगी धन की चाहत सबको
अपनी बस ये चाहत है
शब्दों अरु स्याही में घुल जीवन का उद्धार करूँगा
अस्त्र-शस्त्र के वारों का लेखन से व्यवहार करूँगा।।
कलम नहीं ये शस्त्र हमारा
इसने केवल न्याय किया
जीवन के सब अध्यायों को
इसने ही अभिप्राय दिया
शब्दों में सिहरन भर कर भाव सभी स्वीकार करूँगा
अस्त्र-शस्त्र के वारों का लेखन से व्यवहार करूँगा।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
02मार्च, 2022
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