क्या पथ रोकेंगे।

क्या पथ रोकेंगे।  

जीवन मे अगणित बाधायें
बढ़ते का क्या पग रोकेंगे
संकल्प सुनिश्चित जिसका भी
दुर्दिन फिर क्या पथ रोकेंगे।।

किस-किस के तू आगे रोता
झुकता क्यूँ, नतमस्तक होता
समय एक कब रहा किसी का
बीती का क्यूँ बोझा ढोता।।

वीथी पर अगणित विपदायें
अनुमानों को कब रोकेंगे
संकल्प सुनिश्चित जिसका भी
दुर्दिन फिर क्या पथ रोकेंगे।।


जीवन का क्या धर्म बताऊँ
तुम बोलो क्या मर्म बताऊँ
किस भाँती जीवन बहलाया
क्या-क्या बोलो कर्म बताऊँ।।

कर्म प्रबंधित जिसका भी है
व्यवधान उसे क्या रोकेंगे
संकल्प सुनिश्चित जिसका भी
दुर्दिन फिर क्या पथ रोकेंगे।।


©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        14मार्च, 2022

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