प्रिये मिलन की पुण्य घड़ी है
समय तनिक थम-थम कर चल।।
समय तनिक थम-थम कर चल।।
बाट जोहते युग-युग बीता
मन का घट रहा-रह रीता
रही प्रतीक्षा कठिन मगर ये
मन कब हारा, बस जीता।।
जगती में फिर हार-जीत की
छोड़ व्यथा आ खुलकर मिल
प्रिये मिलन की पुण्य घड़ी है
समय तनिक थम-थम कर चल।।
यही समय है जिसकी प्रतिपल
करते थे हम प्रत्याशा
मधुर निशा के इस इक पल में
जीवन की सब अभिलाषा।।
सोच रहे क्या इस बेला में
हाथ धरे संग-संग चल
प्रिये मिलन की पुण्य घड़ी है
समय तनिक थम-थम कर चल।।
प्रिय वादों की रात यही है
देखो शशि साथ जग रहा
पुण्य प्रभावी हों सदियों के
हमको आशीष दे रहा।।
वादों का आलिंगन कर लें
होने दो जो होगा कल
प्रिये मिलन की पुण्य घड़ी है
समय तनिक थम-थम कर चल।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
31मार्च, 2022
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