होली के रंग।

होली के रंग।  

होली के रंगों में हुई है धरा सराबोर
रूप खिला प्रकृति का है खुशहाली चहुँओर।।

टेसू के रंगों ने है दिया धरा को रूप
मीठी लागे छाँव भी मीठी लागे धूप।।

रंग-बिरंगे लोग हैं रंगी हैं परिधान 
जब दिल सबके मिल गये फिर कैसे व्यवधान।।
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रंगों के भाव लिए गीतों में
तेरे गलियारे में आया हूँ
कुछ अपनापन कुछ दीवानापन
पल-पल भाव सुनहरे लाया हूँ।।

कुछ भाव समर्पित तुम भी कर दो
कुछ भाव समर्पित मैं भी कर दूँ
प्रिय सपनों का आलिंगन कर के
आशाओं को अनुरंजन कर लूँ।।

अधरों पर मुस्कान मधुर हो
हर दिल मे अरमान मधुर हो
कोई नहीं अछूता हो अब
हर दिल की पहचान मधुर हो।।
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जिस होली में रंग न हो अंजाम भला फिर क्या होगा
चाल चलन और ढंग न हो अंजाम भला फिर क्या होगा।।

नित संसद में देख कर नेताओं की हुड़दंग
रोये जनता फूट-फूट जैसे मिला हो दंड।।

यूपी खोये गोवा खोये खोये उत्तराखंड
योगी जी का देखा जलवा उड़ा है सबका रंग।।

इक-इक रोये माथ पकड़ कर अरु दूजा नोचे बाल
इक बाबा के फेर में देखो कैसा हो गया हाल।।

सायकिल की पैडल टूटी हाथी हुआ बेहाल
पंजा झाँके अगल-बगल बाबा ने किया कमाल।।

जोड़-तोड़ हरदम किया नहीं जमीं पर पैर
चाय वाले के सामने नहीं बची अब खैर।।

साल-साल भर बैठ कर के खूब लगाये नारा
गयी किसानी राजनीति में, नहीं मिला सहारा।।

जनता को बहलाये के जो हो गए मालामाल
समय की चकरी देखिए वही नोचे अपने बाल।।


©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        17मार्च, 2022

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