संघर्षों का मान।

संघर्षों का मान।  

बस नारों अरु वादों से सम्मान कहाँ मिल पाया है
पग-पग संघर्ष किया जिसने मान उसी ने पाया है।।

संघर्षों ने इस जीवन की लिख डाली है नई कहानी
शाम उसी की शीतल है जिसने तपाई अपनी जवानी
केवल नारों उद्गारों से अधिकार नहीं मिल जाता है
कर्तव्यों की देहरी चलकर ही जीवन सुख पाता है।।

इतिहास मुखर है भारत का पग-पग कितना संघर्ष किया
अमरत की प्याली छोड़ी है घूँट-घूँट है गरल पिया
नीलकंठ जो बना उसी ने जीवन में पुष्प खिलाया है
पग-पग संघर्ष किया है जिसने मान उसी ने पाया है।।

जाने कितने ही बलिदानों को इतिहासों ने भुला दिया
वो जाने क्या कुटिल व्यवस्था थी जिसने ऐसा काम किया
स्वार्थ शिखर पर बैठे सारे ऐसे सत्ता मद में झूल गये
जो भी, पथ सींचे स्वेद बूँद से उनका ही कद भूल गये।।

मत भूलो, जिनके बलिदानों ने वर्तमान पथ खिलाया है
काँटों का आलिंगन कर के, पुष्पों से पंथ सजाया है
बलिदानों के गीत लिखे जो पंथ-पंथ जिन्हें गाया है
पग-पग संघर्ष किया है जिसने मान उसी ने पाया है।।

इक दो जीत-हार से जग में संघर्ष यहाँ कब बदला है
सिंहासन तक आ जाने से संपर्क कहो कब बदला है
जो भूल गये अपना अतीत तो मान नहीं टिक पायेगा
इतिहास हुआ जो धूमिल तो अस्तित्व सभी मिट जायेगा।।

संकल्पों के यग्य कुंड में कुछ आहुती सुनिश्चित कर लो
कर्तव्यों की ड्योढ़ी से पहले अपना प्रण निश्चित कर लो
कर्तव्य मार्ग पर चला वही, संकल्प वही जी पाया है
पग-पग संघर्ष किया है जिसने मान उसी ने पाया है।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
       11मार्च, 2022


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