आजाद था आजाद हूँ आजाद रहूँगा।।
आजाद था आजाद हूँ आजाद रहूँगा।।
माना घनेरे धुंध में बादल यहाँ घिरा
आस के आकाश से, पर विश्वास कब गिरा
जो तने हैं दर्प में सूखे पेड़ की तरह
सब आँधियों के वेग से हैं टूट कर गिरा।।
अकड़े हैं यहाँ जो भी खबरदार करूँगा
आजाद था आजाद हूँ आजाद रहूँगा।।
जो भी यहाँ पे राष्ट्र का अपमान करेगा
ना-पाक इरादों की जो भी बात करेगा
गायेगा जो कभी दुश्मनों के गीत यहाँ
अभिव्यक्ति के नामों पर उत्पात करेगा।।
ऐसे निठल्ले लोग को आगाह करूँगा
आजाद था आजाद हूँ आजाद रहूँगा।।
घर-घर में राष्ट्रवाद गीतों में गूँजेगा
भारत की माटी को हर कोई पूजेगा
जिसको भी ऐतराज हो चेतावनी यही
है वक्त सँभल जाओ, पांचजन्य बोलेगा।।
भारत प्रेमियों का सदा सम्मान करूँगा
आजाद था आजाद हूँ आजाद रहूँगा।।
गूँजेगा गीत बस यहाँ भारत के नाम का
सदियों तक ऊँचा रहेगा मस्तक मान का
जब भी चलेंगी बातें कहीं स्वाभिमान की
चरचा वहाँ होगा बस भारत के नाम का।।
भारत के मान का सदा सम्मान करूँगा
आजाद था आजाद हूँ आजाद रहूँगा।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
27फरवरी, 2022
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