भारत- एक परिचय।

भारत- एक परिचय।   

सकल विश्व की पुण्य धरा का
सूक्ष्म, मगर हूँ शब्द प्रखर
हो मौन विश्व चाहे जितना
पर शब्द मिरे हैं सौम्य मुखर
मैं पुष्प सुशोभित मृदुल भाव
मैं अवसादों में मृदुल छाँव
मैं गीत मनोहर मीरा का
चैतन्य प्रभू की मधुर तान
मैं हूँ राधा का प्रेम सहज
अरु हूँ मुरली की मधुर तान
क्या परिचय बतलाऊँ अपना
इस दिव्य धरा का सूक्ष्म प्राण।।

रग रग कण कण मेरा शंकर
सौम्य, सुलभ मैं हूँ अभ्यंकर
मैं हूँ कान्हा का चक्र सुदर्शन
मैं ही सागर का हूँ मंथन
मैं मर्यादा का पुण्य प्रवाह
ऋषि मुनियों का प्रेम अथाह
ज्ञान ध्यान शोभित हैं भूषण
वेद पुराण ग्रंथ आभूषण
गुरुकुल शिक्षा भाव सुलभ
मैं हूँ गीता का प्रखर ज्ञान
क्या परिचय बतलाऊँ अपना
इस दिव्य धरा का सूक्ष्म प्राण।।

मैं राणा का अचूक प्रहार
लक्ष्मीबाई की खड्ग धार
अब अरि के मर्दन में क्या दोष
मैं वीर शिवाजी का उद्घोष
मैं मंगल पांडे की हुंकार
अरि के लिये मैं हूँ ललकार
मैं गंगा की पावन धारा
यमुना का मैं निश्छल प्रवाह
सत्य अहिंसा का मैं द्योतक
सत्यम शिवम सुंदर है ज्ञान
क्या परिचय बतलाऊँ अपना
इस दिव्य धरा का सूक्ष्म प्राण।।

मैंने कब चाहा है जग को
केवल अपने आधीन करूँ
मैंने कब चाहा है जग में
बस निजता खातिर जियूँ मरूं
कोई तो बतलाये कब मैंने 
दुर्बल पर अत्याचार किये
सत्ता की खातिर कब मैंने
अपने जन का संहार किये
कब्जाया न भूभाग कोई
न कभी किया हमने अभिमान
क्या परिचय बतलाऊँ अपना
इस दिव्य धरा का सूक्ष्म प्राण।।

मैं रामायण की चौपाई
भगवदगीता का गूढ़ ज्ञान
मैं गुरु द्वारे का आदि ग्रंथ
अरु गौतम का मैं प्रथम ज्ञान
राम कृष्ण की सकल भावना
सत्य सनातन यही कामना
हर्षित मन सब हर्षित तन सब
सतयुग की फिर करूँ स्थापना
नेक बनें सब एक बनें सब
वसुधैव कुटुंबकम का ज्ञान
क्या परिचय बतलाऊँ अपना
इस दिव्य धरा का सूक्ष्म प्राण।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        01जनवरी, 2022

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