चेहरे जब याद आते हैं।

चेहरे जब याद आते हैं।  

मेरे नयनों के ऑंसू भी बहते बहते रुक जाते हैं
मूल भूत सुविधा से वंचित चेहरे जब याद आते हैं।।

जीवन भर वरदानों खातिर
पग पग कितना दूर चला मैं
थोड़े से अहसानों खातिर
जाने कितनी पीर सहा मैं
लेकिन जिन चरणों ने बेबस
भटक भटक कर जीवन काटा
उन चरणों के छाले मेरे
दिल को बरबस तड़पाते हैं।।
मेरे नयनों के ऑंसू भी बहते बहते रुक जाते हैं
मूल भूत सुविधा से वंचित चेहरे जब याद आते हैं।।

राष्ट्र भावना की मशाल ले
सीमाओं पर लोग डटे जो
प्राण हथेली पर रख कर के
रक्षा खातिर वहाँ डटे जो
उनके त्याग भावना के प्रण
ने इतिहास बदल डाला है
उनके बलिदानों की बातें
दिल को पल पल छू जाते हैं।।
मेरे नयनों के ऑंसू भी बहते बहते रुक जाते हैं
मूल भूत सुविधा से वंचित चेहरे जब याद आते हैं।।

आजादी की बलिबेदी पर
कितना ही अपमान सहा है
भूख प्यास में जीवन काटा
पग पग कितना घाव सहा है
जिनके घावों की पीड़ा ने
सारा भूगोल बदल डाला 
उनके पीड़ा की आवाजें
अंतरतम तक दहलाते हैं।।
मेरे नयनों के ऑंसू भी बहते बहते रुक जाते हैं
मूल भूत सुविधा से वंचित चेहरे जब याद आते हैं।।

खुद काल कोठरी में रहकर
आजादी को मान दिलाया
भारत माता को दुनिया में
न्यायोचित सम्मान दिलाया
अपने जीवन की आहुति दे
जिसने साम्राज्य बदल डाला
बलिदानों की इस माटी के
सौगंध हृदय को छू जाते हैं।।
मेरे नयनों के ऑंसू भी बहते बहते रुक जाते हैं
मूल भूत सुविधा से वंचित चेहरे जब याद आते हैं।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        13जनवरी, 2022

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें

 प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें एक दूजे को हम इतना अधिकार दें, के प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें। एक कसक सी न रह जाये दिल में कहीं, ...