भारत गीत।
शब्दों में इतनी जान नहीं
तुझ पर कोई छंद लिखूँ
छंदों की भी पहचान नहीं
तू है तो है ये दुनिया मेरी
तुझसे ही मेरी आन है
देश मेरे ऐ देश मेरे
तू ही तो मेरी जान है।।
तेरे आँचल में जन्म लिया
तेरा ही तो मैं जाया हूँ
कितने जन्मों का पुण्य फला
तब जाकर तुझको पाया हूँ
ये जीवन तुझपर अर्पण है
तू है तो मेरी शान है
देश मेरे ऐ देश मेरे
तू ही तो मेरी जान है।।
गंगा जमुना की लहरों से
जीवन मेरा ये सिंचित है
शीश हिमालय ताज मेरा
मैं कैसे कहूँ कि किंचित है
दिनकर की किरणों के जैसा
श्वेत प्रखर ईमान है
देश मेरे ऐ देश मेरे
तू ही तो मेरी जान है।।
खेत खेत में सोना उपजे
त्याग समर्पण क्यारी क्यारी
गाँव शहर गलियों में गूँजे
राष्ट्रप्रेम वाली अग्यारी
पुण्य भाव से संचित मन है
ऊँची तेरी शान है
देश मेरे ऐ देश मेरे
तू ही तो मेरी जान है।।
शिक्षा संस्कृति और सभ्यता
तुझसे ही सब फलित हुईं
ज्ञान कला विज्ञान धरोहर
तुझसे सब पल्लवित हुईं
पुण्य भावना धर्म परायण
तू ही तो वेद पुराण है
देश मेरे ऐ देश मेरे
तू ही तो मेरी जान है।।
है यही प्रार्थना ईश्वर से
रहती दुनिया तक मान रहे
सूर्य चंद्र दुनिया में जब तक
कण कण तेरा गुणगान रहे
प्राण वायु है दुनिया की तू
तुझसे दुनिया की शान है
देश मेरे ऐ देश मेरे
तू ही तो मेरी जान है।।
हो चरणों में जीवन अर्पित
बस इतना चाहने वाला हूँ
तेरा प्यार मिला है मुझको
मैं कितना नसीबों वाला हूँ
मेरे लहू के कण कण को
तुझसे ही मिलती जान है
देश मेरे ऐ देश मेरे
तू ही तो मेरी जान है।।
©®✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
09दिसंबर, 2021
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