तुम मील जिंदगी मुस्कुराने लगी।
तुम मिले जिंदगी मुस्कुराने लगी।।
गीत अधरों पे आकर मचलने लगे
छंद की पालकी गुनगुनाने लगी
जिंदगी का सफर था अधूरा यहाँ
तुम मिले जिंदगी मुस्कुराने लगी।।
राह में पुष्प ने मखमली पथ लिखे
चूम कर तेरे पाँवों को जीवन लिखे
शाख पेड़ों की झुक अगवानी करी
नव पात ने प्रीत के गीत नूतन लिखे
छू के कदमों के तेरे मचलते निशाँ
राह की दूब भी खिलखिलाने लगी
जिंदगी का सफर था अधूरा यहाँ
तुम मिले जिंदगी मुस्कुराने लगी।।
तुम जो आये तो उपवन महकने लगा
मेरे जीवन का मधुवन बहकने लगा
रंग जीवन में ऐसे भरे प्यार के
कि मेरा जीवन समूचा बदलने लगा
गीत कलियों ने लिखे यूँ उल्लास के
रश्मियाँ झूम कर गुनगुनाने लगीं
जिंदगी का सफर था अधूरा यहाँ
तुम मिले जिंदगी मुस्कुराने लगी।।
प्रीत का पंथ तुमसे यूँ रोशन हुआ
अपने अधरों से तुमने जो इनको छुआ
कह गयी बात दिल की ये पुरवाई जब
चेहरा खिल कर तुम्हारा गुलाबी हुआ
अंक में गीत ऋतुओं के मधुमास के
ये चाँदनी भी मचल गीत गाने लगी
जिंदगी का सफर था अधूरा यहाँ
तुम मिले जिंदगी मुस्कुराने लगी।।
©®✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
08दिसंबर, 2021
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