यादों के पन्ने।

यादों के पन्ने।  

एक बंजारा तेरे शहर में देख यहाँ फिर आया है
भूली बिसरी यादों के कुछ पन्ने संग संग लाया है।।

गीतों की कुछ मौन पँक्तियाँ
कविताओं के सूने अक्षर
यादों के मानसरोवर के
वो लहराते कितने मंजर
बीते पल के गलियारों से कुछ पल के टुकड़े लाया है
भूली बिसरी यादों के कुछ पन्ने संग संग लाया है।।

स्मृतियों के व्योम पटल पर
अलिखित एक अधूरी सूची
बीते कल के जिन चित्रों में
रंग नहीं भर पायी कूची
अधूरे चित्रों की शेष स्मृतियाँ संग में लेकर आया है
भूली बिसरी यादों के कुछ पन्ने संग संग लाया है।।

जीवन के वो मृदु पल जिसमें
दो अनजाने मिले कभी थे
गीतों की सरगम के जैसे
अंतर्मन को बहलाये थे
जीवन के उन मृदुल पलों के कुछ भाव सुनहरे लाया है
भूली बिसरी यादों के कुछ पन्ने संग संग लाया है।।

संस्मरणों के नील कमल के
भाव हृदय में अब तक जीवित
मौन मचलती इच्छाओं के
उन भावों को कर के सीमित
संस्मरणों के उस नील कमल की कुछ पंखुड़ियाँ लाया है
भूली बिसरी यादों के कुछ पन्ने संग संग लाया है।।

©®✍️अजय कुमार पाण्डेय
           हैदराबाद
           10दिसंबर, 2021

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