बस बढ़ते रहना।
पग पग जीवन की राहों में
अवरोधों के शिखर मिलेंगे
कुछ रोकेंगे राहें तेरी
कुछ यत्नों से तुझे छलेंगे
दृढ़ता को हथियार बनाकर
शांतचित्त बस चलते रहना
जीवन पथ कब रहा सुगम ये
शनैः शनैः बस बढ़ते रहना।।
तेरे शब्दों में कितने ही
शब्द जोड़ कर तुझे छलेंगे
तेरे अंतस को छलनी कर
बन तेरे मनमीत मिलेंगे
मन को ही तू ढाल बना ले
मन के गीतों में ही बहना
जीवन पथ कब रहा सुगम ये
शनैः शनैः बस बढ़ते रहना।।
यहाँ मृत्यु से पूर्व तुझे वो
तेरे सपनों को मारेंगे
मार सके न चरित्र जो तेरे
तुझे पंथ से भटकाएँगे
रहा कौन चिरकाल यहाँ पर
अवसादों में क्यूँ कर रहना
जीवन पथ कब रहा सुगम ये
शनैः शनैः बस बढ़ते रहना।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
24दिसंबर, 2021
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें