पल पल सवाल करती है।

पल पल सवाल करती है।

कैसे कैसे सवाल करती है
जिंदगी हर पल कमाल करती है।।

लम्हा लम्हा बदल रहा ये मौसम
कतरा कतरा धमाल करती है।।

सपने पलकों में क्यूँ रुके नहीं
सपनों से ही सवाल करती है।।

जाने कैसा चलन जमाने का
झूठ पे जान निहाल करती है।।

सच कितना मुखर देव लेकिन
सच से पल पल सवाल करती है।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय "देववंशी"
        हैदराबाद
        24दिसंबर, 2021

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