यादें।
सच तो है के तू जहन से जाती नहीं।।
देखा जब जब आईने में मैंने खुद को
तेरी ही सूरत आयी है नजर मुझको
बिन तेरे कोई महफ़िल सुहाती नहीं
कैसे कह दूँ के याद अब आती नहीं।।
बारहा दिल को समझाया बहाने ने
हाल इस दिल का कब पूछा जमाने ने
बहाना, दिलासा कोई दिलाती नहीं
कैसे कह दूँ के याद अब आती नहीं।।
टूटा जब दिल आवाज नही होती है
कैसे कह दूँ बरसात नहीं होती है
अब तो आँसू से भी प्यास जाती नहीं
कैसे कह दूँ के याद अब आती नहीं।।
सोचता था बिन तेरे सँभल जाऊँगा
याद के साये से भी निकल जाऊँगा
ऐसा उलझा यहाँ राह सुहाती नहीं
कैसे कह दूँ के याद अब आती नहीं।।
सोचा था जी लूँगा तेरे बिन मैं तो
जख्मों को सी लूँगा तेरे बिन मैं तो
पर दर्द जाने वो मगर क्यूँ जाती नहीं
कैसे कह दूँ के याद अब आती नहीं।।
अब तो मैं हूँ औ मेरी तन्हाई है
उमर जाने किस मोड़ पे ले आयी है
बिन तेरे जिंदगी गीत अब गाती नहीं
कैसे कह दूँ के याद अब आती नहीं।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
14नवंबर, 2021
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