गीत मेरा गाने तो तुम आओगे।
फिर कहो क्या गीत मेरा गाने को तुम आओगे।।
लेखनी में प्रीत भरकर मृदु मधुर संगीत भरकर
पंक्ति में उन्माद भर कर मौन में संवाद भर कर
तुम कहो तो प्रीत लिख दूँ मैं हृदय की कामना के
फिर कहो क्या गीत मेरा गाने को तुम आओगे।।
गीत के हर शब्द में है प्रिय चाहतों की कल्पना
मेरे मन के भावों में है प्रिय मधुर इक़ अल्पना
तुम कहो तो रंग भर दूँ कल्पनाओं में यहाँ मैँ
फिर कहो क्या गीत मेरा गाने को तुम आओगे।।
साँस में चंदन लिखूँ मैं या गीत वृंदावन लिखूँ
प्रेम का आँगन लिखूँ मैं या गोपियों का मन लिखूँ
तुम कहो तो मीत लिख दूँ कामनाओं को यहाँ मैं
फिर कहो क्या गीत मेरा गाने को तुम आओगे।।
जो कहो प्रारंभ लिख कर मैं बाँध लूँ मधुपाश में
अंक में भरकर लिखूँ फिर नव रीत मैं मधुमास के
आस का अनुप्रास लिख दूँ भावनाओं में यहाँ मैं
फिर कहो क्या गीत मेरा गाने को तुम आओगे।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
12नवंबर, 2021
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