चलो आज नवदीप जलायें।

चलो आज नवदीप जलायें।  

जीवन की उलझन से खुलकर
चलो आज हम खुद से मिलकर
नव प्रभात की अगवानी में
आशा का संदेश जगायें
चलो आज नव दीप जलायें।।

माना तिमिर घना हो कितना
पग पग रोध बड़ा हो कितना
अवरोधों के पार चलें हम
उम्मीदों की किरण जगायें
चलो आज नव दीप जलायें।।

नवल आस हो नव प्रभास हो
जीवन का पल पल उजास हो
पुष्पित हों सब भाव हृदय के
ऐसा नव संकल्प जगायें
चलो आज नव दीप जलायें।।

दुविधाओं के समर में घिरा
रुका यहाँ तो नाकामी है
जीवन बहती इक धारा है
बढ़ा वही, जो अनुगामी है

आगत विगत द्वार पर मिलकर
आशाओं के संधिपत्र पर
हर्षित पुलकित भाव हृदय भर
मिलें सभी को मीत बनायें
चलो आज नव दीप जलायें।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        30अक्टूबर, 2021

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