हे भारत माता- तुझको मेरा है अभिनंदन
नमन करूँ मैं कण कण तेरा
और करूँ मैं तेरा वंदन
हे जननी है भारत माता
तुझको मेरा है अभिनंदन।।
ये दुनिया का मुखरित स्वर है
अभिव्यक्ति के भाव प्रस्फुटित
ऐसा जन गण मन का स्वर है।।
अखंड एकता बल है जिसका
अरु प्रेम समर्पण मर्यादा है
जहाँ भाव सब सम्मानित हैं
आशाओं का बल ज्यादा है।।
यहाँ सभ्यता घट घट बसती
हिय संस्कृति भाव समाहित है
निर्मल पावन चंचल धारा
गंगा की धार प्रवाहित है।।
राम कृष्ण अरु गौतम नानक
मनुज प्रेम का पोषण करते
वेद पुराण उपनिषद गीता
मन का घना अँधेरा हरते।।
मंगल ध्वनि है धर्म परायण
सब देवों में है नारायण
प्रचुर भाव भाषा विस्तारित
विस्तृत निखिल विश्व वातायन।।
शांति घोष का वाहक भारत
सत्य प्रखर आवाहन भारत
न्याय धर्म का पोषक भारत
ज्ञान दीप का द्योतक भारत।।
पग सागर है शीश हिमालय
कण कण जिसका है देवालय
जिसने जग को प्रीत सिखाया
है तन पावन मन पदमालय।।
वाणी वाणी वेद मुखर है
जन जन का आह्लादित स्वर है
नभ आच्छादित ज्ञान दीप से
धर्म दीप प्रज्ज्वलित शिखर है।।
प्रकृति जिसका रूप सँवारे
पुलकित सुष्मित सुरभित चंदन
हे जननी हे भारत माता
तुझको मेरा है अभिनंदन।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
29अक्टूबर, 2021
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