कैसे बदलेंगी दशायें।
दिल ने जो भी दर्द सहे हैं तुम कहो किससे बतायें।।
थे तुम्हारे हम कभी और तुम हमारे थे यहाँ
बात बस इतनी है यहाँ तुम कहो कैसे बतायें।।
है ये कर्म कैसा बोलो और है कैसा धरम ये
दर्द है आकाश तक जब बदली नहीं क्यूँ प्रथायें।।
सब दिशायें कह रही हैं दर्द की कितनी कहानी
जाने क्यूँ मचली नहीं हैं अब तक संवेदनाएं।।
क्या हुआ हासिल यहाँ पर क्या हुआ बदलाव बोलो
मौन तोड़ो आवाज दो के क्यूँ नहीं बदली प्रथायें।।
ऐसे तो मुश्किल "अजय" है शब्दों का फिर अर्थ पाना
जब तलक आगाज ना हो कैसे बदलेंगी दशायें।।
✍️©अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
22अक्टूबर, 2021
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