सुहानी वो मुलाकातें।

सुहानी वो मुलाकातें।  

मिले उस रोज जब हम तुम मिली जीवन को सौगातें
है मुझको याद अब भी वो सुहानी चाँदनी रातें।।

हवाओं के मृदुल झोंके तुम्हारे केश लहराए
वो कुंतल के खनक से यूँ लगा नव गीत थे गाये
तुम्हारे माथ की सिलवट पे लिखी मृदु कहानी थी
हृदय के भाव वो सारे इन अधरों पर उतर आये।।

बड़ी मदहोशियों में थी तुमसे वो मुलाकातें
है मुझको याद अब भी वो सुहानी चाँदनी रातें।।

सिमट आये था आँचल में गिरे जो पुष्प तारों से
खिला फिर मधुमास का जीवन उन रिमझिम फुहारों से
हुए सभी दूर एकाकी खिले नव पुष्प उपवन में
हुआ अनमोल ये जीवन तुम्हारे मृदु इशारों से।।

स्मृतियों में बसी अब भी तुम्हारी दी वो सौगातें
है मुझको याद अब भी वो सुहानी चाँदनी रातें।।

नजारों ने बहारों संग लिखी नूतन कहानी फिर
अदाओं ने फिजाओं में रची नूतन कहानी फिर
वो घूँघट में सिमट कर जब भिंगोयी प्रीत की बारिश
सजायी गीतों से हमने हृदय की रात रानी फिर।।

बसी हैं आज तक अब भी पलकों में वो मुलाकातें
है मुझको याद अब भी वो सुहानी चाँदनी रातें।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        18अक्टूबर, 2021

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