मैंने बस प्यार किया।

मैंने बस प्यार किया।   

जो कुछ भी तुमने दिया मुझे
सब मैंने स्वीकार किया
तुमने चाहे जो भी समझा
मैने तो बस प्यार किया।।

मत पूछो के मौन रुदन के
पल हिस्से में क्यूँ आये
कुछ तो ऐसे कल्मष होंगे
जिसने पथ से भटकाये
अपने उस कल्मष की खातिर
मैंने पश्चाताप किया
तुमने चाहे जो भी समझा
मैंने तो बस प्यार किया।।

मेरे दीवानेपन को भी
तुमने पागलपन माना
जग ने तो था किया पराया
तुमने बेगाना जाना
तेरे बेगानेपन को भी
हँसकर के स्वीकार किया
तुमने चाहे जो भी समझा
मैंने तो बस प्यार किया।।

मैंने जग के तानों को भी
समझ पिया जैसे हाला
ये अश्रू बने मेरी मदिरा
अरु पलक बनी मधुशाला
पर जो अश्रू गिरे पलकों से
उनका भी सत्कार किया
तुमने चाहे जो भी समझा
मैंने तो बस प्यार किया।।

हिय बंधन में बँध कर सोचा
दो पल खुद को भी जी लूँ
पा लूँ मैं भी सुख जीवन का
हिय मृदु मधुरस मैं भी पी लूँ
जीवन ज्वाला में जिया किया
उर में पर मधुमास जिया
तुमने चाहे जो भी समझा
मैंने तो बस प्यार किया।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        09सितंबर, 2021





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