स्वर्ग बनाने आया।

मन की अभिलाषा- स्वर्ग बनाने आया।  

मैं कोई अवतार नहीं हूँ
इक तिनका हूँ महासमर में
जीवन के इस महासमर में
अपना पात्र निभाने आया
एक स्वर्ग है नील गगन पर
दूजा यहाँ बनाने आया।।

पाप पुण्य के खेल में यहाँ
कितने जीवन झूल रहे हैं
निज भावों के पलने खातिर
पुण्य पंथ को भूल रहे हैं
पग पग सबका पंथ सुखद हो
कंटक सभी हटाने आया
एक स्वर्ग है नील गगन पर
दूजा यहाँ बनाने आया।।

जन भावों को सम्मान मिले
निजता का अधिकार मिले
विकल विवश अरु दीन हीन को
जीने का अधिकार मिले
अरु कर्तव्यों की पृष्ठ भूमि का
आदर्श यहाँ बताने आया
एक स्वर्ग है नील गगन पर
दूजा यहाँ बनाने आया।।

वेद पुराणों की वाणी को
जन मन उच्चारित कर दो
राष्ट्र प्रेम की स्वस्थ भावना
जन गण जन के हिय में भर दो
गूँजे गिरी कानन सिन्धु पवन
ऐसा भाव जगाने आया
एक स्वर्ग है नील गगन पर
दूजा यहाँ बनाने आया।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        08सितंबर, 2021

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