मन के गीत।
मन के गीत लिए आऊँगा
कुछ गीतों को तुम गाना
कुछ गीतों को मैं गाऊँगा।।
जग की सारी रीत सुनाना
जो कुछ बीती हमें बताना
कुछ तुम मेरे मन की सुनना
कुछ अपनी तुम मुझे सुनाना।।
अपने दिल पर जो बीती है
उसको गीतों में गाऊँगा
मन के द्वार खुले तुम रखना
मन के गीत लिए आऊँगा।।
मन के भावों को लिखना है
मन के गीतों को गाना है
मन के भाव समझने खातिर
खुद को भी तो समझाना है।।
मन से कोई चूक हुई तो
मन को भी मैं समझाऊँगा
मन के द्वार खुले तुम रखना
मन के गीत लिए आऊँगा।।
इस पार खड़ा जो जीवन है
उस पार न जाने क्या होगा
साँझ ढले अपने जीवन का
आकाश न जाने क्या होगा।।
लेकिन जो कुछ मुझे मिलेगा
हँस कर के मैं अपनाऊँगा
मन के द्वार खुले तुम रखना
मन के गीत लिए आऊँगा।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
06सितंबर, 2021
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