जीवन की मधुमय प्याली।

जीवन की मधुमय प्याली।  

बढ़ती उम्र के साथ ढल रही मेरे यौवन की लाली
रह रह ऐसे रीत रही है जीवन की मधुमय प्याली।।

जैसे जैसे कदम बढ़ रहे आशाएँ सब मचल रहीं
पर दायित्वों के बोझ तले लगता है कुछ कुचल रहीं
मचले मन के भाव सँभालूँ जैसे उपवन का माली
रह रह ऐसे रीत रही है जीवन की मधुमय प्याली।।

गया बालपन यौवन आया कितने सावन बीत गए
कुछ समझा कुछ समझ न पाया पल भर में सब रीत गए
आज उमर के मोड़ पर खड़ा देखूँ बस रस्ता खाली
रह रह ऐसे रीत रही है जीवन की मधुमय प्याली।।

कितना कुछ सुलझाया लेकिन खुद में इतना उलझ गया
रिश्तों के इस भँवर जाल में जीवन जैसे उलझ गया
उलझन सुलझन भरी राह में हाथ रह गए हैं खाली
रह रह ऐसे रीत रही है जीवन की मधुमय प्याली।।

जीवन की वीथी ने कितने गीत सुनहरे रच डाले
भावों का ले मधुर सहारा प्रीत मनहरे लिख डाले
लिखे गीत जीवन के पथ के फिर भी है वीथी खाली
रह रह ऐसे रीत रही है जीवन की मधुमय प्याली।।

बीती रातों के कितने ही याद सँभाले बैठा हूँ
और लरजते अधरों की फरियाद सँभाले बैठा हूँ
रुँधे गले, पर बोल रहा हूँ पलकों की भर कर प्याली
रह रह ऐसे रीत रही है जीवन की मधुमय प्याली।।

आ जाओ मिल जाओ जैसे रात दिवस में घुल जाती
रश्मि भोर की किरणों से ज्यूँ अगणित कलियाँ खिल जाती
खुल जाता आकाश हृदय का भरती जीवन की प्याली
रह रह ऐसे रीत रही है जीवन की मधुमय प्याली।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        19सितंबर, 2021

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