कितने रावण यहाँ जलाओगे।
सोचो कैसे दशहरा मनाओगे
बुराई से कैसे पार पाओगे
सोचो भारत में कितने रावण हैंकिस किसको यहाँ जलाओगे।।
माना सीता का हरण किया मैंने
और प्रभू को लाख दुख दिया मैंने
मैं तो रावण था दुष्ट पापी था
आज किस किस से तुम बचाओगे
सोचो भारत में कितने रावण हैं
किस किसको यहाँ जलाओगे।।
भारत माता भी आज रोती है
उसकी आवाज ना सुनाई देती है
कहीं आतंक और कहीं बुराई है
कैसे इससे इसे बचाओगे
सोचो भारत में कितने रावण हैं
किस किसको यहाँ जलाओगे।।
क्यूँ सुनसान यहाँ की सड़कें है
आधी आबादी यहाँ पे डरते हैं
लाखों रावण छिपे हैं खालों में
उसके डर से कैसे बचाओगे
सोचो भारत में कितने रावण हैं
किस किसको यहाँ जलाओगे।।
कहीं पे चोरी है कहीं घोटाला है
जैसे लोकशाही पे डाका डाला है
वोट के लिए धर्म को भूले हैं
कैसे सबको यहाँ जगाओगे
सोचो भारत में कितने रावण हैं
किस किसको यहॉं जलाओगे।।
सोचो इक दिन मुझे जलाने से
क्या मिलेगा खुशी मनाने से
कदम कदम पे कितने रावण हैं
इतने तुम राम कहाँ से लाओगे
सोचो भारत में कितने रावण हैं
किस किसको यहाँ जलाओगे।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
15सितंबर, 2021
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