आशा ने करवट बदली हैं।
उम्मीदें फिर नई सजी हैं
रातों की सिलवट बदली है
पाकर भोर किरण की रश्मी
आश ने करवट बदली हैं।।
कितने ही प्रतिमान गढ़े हैं
बीते इतिहासों ने अब तक
अरु नूतन अनुमान गढ़े हैं
कितनी आशाओं ने अब तक।।
सपनों वाली भोर हुई है
इच्छाएं घट घट बदली हैं
पाकर भोर किरण की रश्मी
आशा ने करवट बदली हैं।।
नई उमंगें नया मंत्र है
नई तरंगें नया तंत्र है
नवयुग है ये नव प्रभाव है
नव प्रभात है पुण्य पंथ है।।
लोलुपता के महल ढह रहे
भोगवाद भावना बदली है
पाकर भोर किरण की रश्मी
आशा ने करवट बदली है ।।
राष्ट्र भावना हुई बलवती
षड्यंत्रों का नाश सुनिश्चित
दुनिया के कोने कोने में
भारत का सम्मान सुनिश्चित।।
स्वस्थ भाव से स्वच्छ भाव से
जनतन ने करवट बदली है
पाकर भोर किरण की रश्मी
आशा ने करवट बदली हैं।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
01सितंबर, 2021
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