पल पल बढ़ रही है जिंदगी।
आस के आकाश पर यूँ फल रही है जिंदगी
जाने किन किन रास्तों पर चल रही है जिंदगी
कौन जाने दूर और कौन जाने पास है
उम्र के साये में पल पल बढ़ रही है जिंदगी।।
बढ़ रही उम्र देखो रात के जाने के साथ
अरु मिलती है खुशी रात के जाने के बाद
बढ़ रहा है जितना पथिक बढ़ रही है जिंदगी
उम्र के साये में पल पल बढ़ रही है जिंदगी।।
शब्द अधरों पर कभी तुषार हैं अंगार हैं
नीड़ के निर्माण में ये भी सृजन श्रृंगार हैं
शब्द के आकाश पर कुछ गढ़ रही है जिंदगी
उम्र के साये में पल पल बढ़ रही है जिंदगी।।
अहसासों के पुण्य पल छोड़ कर कैसे चलूँ
जग से जो भी मिला वो तोड़ कर कैसे चलूँ
बंधनों की प्रीत सह सह बढ़ रही है जिंदगी
उम्र के साये में पल पल बढ़ रही है जिंदगी।।
स्वप्न पलकों में पले तो रात क्या अरु दिन क्या
उम्र के संग संग चले तो रास्तों की फिक्र क्या
गौर से सुन लो जरा कुछ कह रही है जिंदगी
उम्र के साये में पल पल बढ़ रही है जिंदगी।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
21अगस्त, 2021
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