पतझड़ फिर ना आने देना।

पतझड़ फिर ना आने देना।  

ले आये हो मधुवन में तुम
पतझड़ फिर ना आने देना
फिर से आस बँधाई तुमने
उसे नहीं अब मिटने देना।।

मेरी साँसों की वीणा के
ताल तुम्हीं हो राग तुम्हीं
मेरे भावों की थिरकन के
गीत तुम्हीं हो राग तुम्हीं
अपने गीतों के सरगम में
मेरे गीत मिलाने देना
ले आये हो मधुवन में तुम
पतझड़ फिर ना आने देना।।

मेरे जीवन के पृष्ठों पर
अंकित इक इक छंद तुम्हीं
मेरे अंतस के ग्रंथों को
जो भाये हैं वो मंत्र तुम्हीं
पंक्ति पंक्ति हैं शब्द सुनहरे
ये भाव नहीं खोने देना
ले आये हो मधुवन में तुम
पतझड़ फिर ना आने देना।।

कितनी मन्नत बाद मिले हैं
नैनों से बरबस मधु ढलके
आशाओं के पुष्प खिले हैं
हिय मृदु मधुरिम मधुरस छलके।
पलकों में चाहत बन बसना
स्वप्न सुनहरे रचने देना
ले आये हो मधुवन में तुम
पतझड़ फिर ना आने देना।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        07अगस्त, 2021



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