हल्ला बोल दिया।
कानों में मिसरी घोल दिया
सिंहनाद कर इतिहासों ने
केसर का बंधन खोल दिया।।
सदियों से छाती पर अपने
इक नश्तर सा था चुभा हुआ
इक धारा बन टीस उभरती
दर्द सा दिल में था दबा हुआ
दूर हुआ नश्तर वो दिल का
अंतस में चंदन घोल दिया
सिंहनाद कर इतिहासों ने
केसर का बंधन खोल दिया।।
दशकों से आतंकी कितने
विष भारत में घोल रहे थे
गली मुहल्ले चौराहों पर
खुले आम विष घोल रहे थे
जंग लगे काले ताले को
अब आगे बढ़कर खोल दिया
सिंहनाद कर इतिहासों ने
केसर का बंधन खोल दिया।।
कदम कदम पर हमने अपने
कितने ही सैनिक खोये हैं
जब जब देखा ध्वज में लिपटे
सब खून के आँसू रोये हैं
बँधे हाथ थे कल तक जो भी
सब इक झटके में खोल दिया
सिंहनाद कर इतिहासों ने
केसर का बंधन खोल दिया।।
अब भारत की धरती पर बस
भारत के नारे गूंजेंगे
पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण सब
बस भारत माँ को पूजेंगे
आतंकी मंसूबों पर अब
जन गण ने हल्ला बोल दिया
सिंहनाद कर इतिहासों ने
केसर का बंधन खोल दिया।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
05अगस्त, 2021
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