भूले बिसरे दीवाने- आजादी के।
कितनी ही अमिट कहानी है
कुछ को है आकार मिला अरु
कुछ बाकी अभी सुनानी है।।
आजादी के दीवानों ने
खुद मिट कर इतिहास बनाया
निज प्राणों की आहुति देकर
जीना क्या हमको सिखलाया।
और सिखाया जीवन पथ पर
चल, कैसे डगर बनानी है
कुछ को है आकार मिला अरु
कुछ बाकी अभी सुनानी है।।
पुण्य पंथ पर शीश नवा कर
अगणित जीवन निखर गये हैं
कुछ ने है इतिहास बनाया
कुछ पन्नों में सिमट गये हैं।
जो सिमटे पन्नों में दबकर
जन जन को आज बतानी है
कुछ को है आकार मिला अरु
कुछ बाकी अभी सुनानी है।।
कितनों ने बलिदान दिए जब
तब ये धरती मुस्काई है
कितनों ने शोणित से सींचा
तब ये फसलें लहराई हैं।
कुछ के त्याग लिखे गीतों में
अरु कुछ की अभी सुनानी है
कुछ को है आकार मिला अरु
कुछ बाकी अभी सुनानी है।।
आजादी की बलि बेदी पर
कितने हँस कर झूल गए
जग को राह दिखाने खातिर
वो अपना रस्ता भूल गए।
बिसर गए जो इतिहासों में
उनकी पहचान बतानी है
कुछ को है आकार मिला अरु
कुछ बाकी अभी सुनानी है।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
04अगस्त, 2021
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