फिर वही मुलाकातें।
चले आओ तुम्हारे बिन कहूँ मैं किससे ये बातें।।
के सारा दिन गुजरता है तुम्हारी याद में खोकर
औ रातों को जगाती हैं तुम्हारे प्यार की बातें।।
था दुआओं में यही माँगा तुम्हारा साथ न छूटे
सुनाऊँ किसको मैं तुम बिन तुम्हारे साथ की बातें।।
तुम्हारे प्यार में डूबे तो जाना जिंदगी क्या है
कहो कैसे मैं भूलूँगा अब पुरानी वो मुलाकातें।।
अधूरे ख्वाब हैं मेरे अधूरी मेरी तमन्नाएं
नहीं भाती तुम्हारे बिन मुझे अब कोई सौगातें।।
कहीं ऐसा न हो के जिंदगी नया कुछ घाव दे जाए
चलो फिर अजनबी बन जायें करें फिर से मुलाकातें।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
02अगस्त, 2021
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