क्या पास हमारे आओगी।
हम दीवाने हैं बस्ती के तुम रूपनगर की परीजादी
हम वन वन भटके इक बंजारे तुम महलों की शहजादी
शब्द शब्द जीवन धारा है क्या पंक्ति पंक्ति तुम गाओगी
मैं बंजारा हूँ इस दिल का क्या पास हमारे आओगी।।
तुम प्रीत लुटाने वाली हो हम प्रीत निभाने वाले हैं
तुम चाहत की मधुर गीतिका हम उसे सुनाने वाले हैं
मेरे गीतों-साजों में क्या तुम संग संग घुल पाओगी
मैं बंजारा हूँ इस दिल का क्या पास हमारे आओगी।।
हम काँटों पर चलने वाले तुम फूलों पर चलने वाली
तापों में जलने वाले तुम मृदु भावों में पलने वाली
है पथ मेरा अंगारों का क्या इस पर तुम चल पाओगी
मैं बंजारा हूँ इस दिल का क्या पास हमारे आओगी।।
मेरे संग संग तुमको भी इस जीवन में पलना होगा
पथ फूल भरे हों अंगारे हों तुमको भी चलना होगा
महलों के उस जीवन को क्या छोड़ के संग रह पाओगी
मैं बंजारा हूँ इस दिल का क्या पास हमारे आओगी।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
1जुलाई, 2021
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