ऐ काश तुम्हें मिल जाये।
जो कुछ मैंने खोया है ऐ काश तुम्हें वो मिल जाये।।
तुमने तो कौतूहल वश बस मुझसे नेह लगाया था
जग को भरमाने की खातिर पल भर नेह लगाया था
खेल किये तुम जज्बातों से संवेगों का त्याग किया
अंधकार में मुझको रखकर भावों को भरमाया था
अतृप्त भावों को तेरे ऐ काश सहारा मिल जाये
जो कुछ मैंने खोया है ऐ काश तुम्हें वो मिल जाये।।
तुम चमक दामिनी बन मेरे इस जीवन में आये थे
मधुर सुहासिनी बन मिरे मन उपवन पर छाये थे
ले आये आकाश वहाँ पर जहाँ अँधेरा छाया था
निज पलकों के साये में कुछ सपने मैंने पाए थे
निज सपनों की चाहत को ऐ काश इशारा मिल जाये
जो कुछ मैंने खोया है ऐ काश तुम्हें वो मिल जाये।।
निज आकाशों की खातिर ही तुमने मेरा त्याग किया
कितनी ही आवाज लगाई पर तुमने ना ध्यान दिया
छोड़ चले जिसकी खातिर अरमान तुमारा हो जाये
सब कंटक दूर हटें पथ आसान तुमारा हो जाये
खिलें पुष्प निज उपवन में आशीष सभी का मिल जाये
जो कुछ मैंने खोया है ऐ काश तुम्हें वो मिल जाये।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
07जुलाई, 2021
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