शब्द।
पँक्तियों में घुल यहाँ संवेदनाएं खिल रही
मौन को भी शब्द मिलते प्रीत को आकाश तब
जब समय की ताल पर सब वर्जनाएं घुल रहीं।।
शब्द से ही प्रेम है अरु शब्द से व्यवहार है
शब्द से सम्मान सारे शब्द से सत्कार है
शब्द से ही नीतियाँ और शब्द से कुरीतियाँ
शब्द की आगोश में रिश्तों का संसार है।।
क्रोध की ज्वाला में जला स्वयं वो कुंठित हुआ
प्रेम से सत्कार से सम्मान से वंचित हुआ
नहीं मिलेगा रास्ता जब शब्द बिखरेंगे वहाँ
प्रेम तब सम्मान पाता शब्द जब सिंचित हुआ।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
21जुलाई, 2021
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