लौट आओ ना।
कि अब तो लौट आओ ना
लिखे जो गीत सब तेरे
कहे जो छंद सब तेरे
घुले जो रंग जीवन मे
सभी वो रंग अब तेरे
लिखे इन गीत गजलों को
चलो फिर से सजाओ ना
कहाँ जा कर बसे हो तुम
कि अब तो लौट आओ ना।।
तुम्हारे बिन जीवन की
सभी साँसें अधूरी हैं
मिरे ये दिन अधूरे हैं
सभी रातें अधूरी हैं
फिर पलकों में बस जाओ
चलो सपने सजाओ ना
कहाँ जा कर बसे हो तुम
कि अब तो लौट आओ ना।।
कि ये आँखें तरसती हैं
सूनी राहें तकती हैं
गुजारे साथ जो लम्हें
नहीं यादें बिसरती हैं
मिलो इक बार तुम फिर से
चलो राहें सजाओ ना
कहाँ जा कर बसे हो तुम
कि अब तो लौट आओ ना।।
कहीं ऐसा न हो जाये
ये बंधन टूट न जाये
कहीं अब राह तकने में
ये साँसें छूट न जाये
के साँसों की सरगम को
चलो तुम फिर सजाओ ना
कहाँ जा कर बसे हो तुम
कि अब तो लौट आओ ना।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
20जुलाई, 2021
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