दिल की अभिलाषा।

दिल की अभिलाषा।   

दिल करता है तितली जैसा
मैं भी घूमूँ गगन में आज

मन चंचल है अपना ये अरु
इच्छाओं का भार बहुत है
कदम कदम पर देखो जब भी
चाहत का अंबार बहुत है
आशाओं के नीलांबर में
सपन सलोने बुनूँ मैं आज
दिल करता है तितली जैसा
मैं भी घूमूँ गगन में आज।।

मुक्त गगन में मैं भी विचरूँ
फूल फूल इतराऊँ मैं भी
अपने अल्हड़पन से सबका
मन उपवन बहलाऊँ मैं भी
पावन सबका हृदय करूँ मैं
करूँ सभी को मगन मैं आज
दिल करता है तितली जैसा
मैं भी घूमूँ गगन में आज।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        18जून, 2021

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