कदम कदम मुझको पाओगे।

कदम कदम मुझको पाओगे।  

आज चले हो मुझे छोड़कर, कितना दूर मगर जाओगे
जाओ जितना दूर मगर तुम, कदम कदम मुझको पाओगे।।

बादल बन बरसे थे दोनों
इक दूजे के जीवन में
फूल खिले चंहुदिश यहाँ तब
अपने सूने उपवन में
फूलों से जो खुशबू बिखरी
उनको कैसे बिसराओगे
आज चले हो मुझे छोड़कर, कितना दूर मगर जाओगे
जाओ जितना दूर मगर तुम, कदम कदम मुझको पाओगे।।

तेरी राहों से काँटे चुन
हमने फूल सजाए थे
पलकों से मोती चुन चुन कर
हार तुमें पहनाए थे।
जिन बूँदों ने पंथ निखारा
कैसे उनको झुठलाओगे
आज चले हो मुझे छोड़कर, कितना दूर मगर जाओगे
जाओ जितना दूर मगर तुम, कदम कदम मुझको पाओगे।।

तुमसे ही था शुरू किया अरु
तुम पर ही है खत्म किया
कदम कदम तुमको ही चाहा
कदम कदम है तुमे जिया।
जो भी साथ निभे राहों में
उनको कैसे बिसराओगे
आज चले हो मुझे छोड़कर, कितना दूर मगर जाओगे
जाओ जितना दूर मगर तुम, कदम कदम मुझको पाओगे।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        27जून, 2021

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