मुक्त हृदय के भाव।
बींध गए सब भाव हमारे
भींग गया तन मन का आँगन
भावों ने नव पंथ निहारे।।
वीणा की झंकार हृदय में
गीतों को नव प्राण दिए
सुप्त हृदय के भाव जगे सब
चाहत को विस्तार दिए।
वीणा के साजों में सजकर
गीतों ने नव पंथ निखारे
मुक्त हृदय ने बात कही यूँ
बींध गए सब भाव हमारे।।
रश्मि किरण ने पंथ निखारा
खिले हृदय के पुष्प सभी
निर्मल कोमल विमल हुआ मन
धुले हृदय के पंक सभी।
खिले हृदय में पुष्प सभी जो
अंतरतम के पंथ बुहारे
मुक्त हृदय ने बात कही यूँ
बींध गए सब भाव हमारे।।
भरे हृदय में नूतन क्षण फिर
जगे भाव पुलकित छाया
दीप जले उम्मीदों के फिर
अंतस आलोकित पाया।
दूर हुए अँधियारे सारे
किरणों ने यूँ पंथ निखारे
मुक्त हृदय ने बात कही यूँ
बींध गए सब भाव हमारे।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
27जून, 2021
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