बस्ती बस्ती बात हुई है।

बस्ती बस्ती बात हुई है।  

आज यहाँ मेरी राहों में वही पुरानी बात हुई है
नगर नगर सब गूँज गये अरु, बस्ती बस्ती बात हुई है।।

वो बीते पल सब गुजर गए,
साथ चले सब बिछड़ गए
उपवन अब भी पुष्पच्छादित
सौरभ जाने किधर गए
मुक्त भाव सब हुआ जगत अब, फिर ये कैसी बात हुई है
नगर नगर सब गूँज गए अरु, बस्ती बस्ती बात हुई है।।

बीते उन खुशियों के पल को
फिर से कौन गुजारेगा
मेरे उन भूले नामों से
फिर से कौन पुकारेगा
बीते उन पल में क्या कह दूँ, कैसी कैसी बात हुई है
नगर नगर सब गूँज गए अरु, बस्ती बस्ती बात हुई है।।

जितने गीत गुहे थे पथ में
अब वो सारे बिसर गए
मोती की माला जो गूंधी
टूट टूट सब बिखर गए
अब दिवस ढला धीरे धीरे अरु, धीरे धीरे रात हुई है
नगर नगर सब गूँज गए अरु, बस्ती बस्ती बात हुई है।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        26जून, 2021


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