मौन मेरे गीत को आज तुम आवाज दे दो।।
प्रीत के इस ग्रंथ का तुम ही रचेता हो प्रिये
प्रीत के इस पंथ का पावन सवेरा हो प्रिये
तुम प्रणय की शक्ति हो और तुम ही विश्वास प्रिय
बाँध कर अपने सुरों में गीत को इक साज दे दो
प्रीत के इस गीत को अपनी मधुर आवाज दे दो
मौन मेरे गीत हैं प्रिय, आज तुम आवाज दे दो।।
कल्पनाओं के सफर में गीत कितने हैं रचे
भावनाओं में हृदय के प्रीत कितने हैं बसे
बाँध कर इक पाश में तुम नया आह्वान दे दो
शब्द हमने जो गढ़े आज इक पहचान दे दो
प्रीत के इस रीत को तुम नया अंदाज दे दो
मौन मेरे गीत हैं प्रिय, आज तुम आवाज दे दो।।
रात के उस पार ही भोर की पहली किरन है
पुण्य है जो प्रीत तो पुण्य अपना भी मिलन है
मिलन के पुण्य क्षण को प्रीत का श्रृंगार दे दो
भाव का विन्यास कर इक नया अवतार दे दो
औ बदल कर भाव सारे इक नया आगाज दे दो
मौन मेरे गीत हैं प्रिय, आज तुम आवाज दे दो।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
24जून, 2021
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