संबंध।
संबंध वहीं पर खिलते हैं।।
दूर तलक जाती राहों पर
लाखों पग डग भरते हैं
कुछ चलते हैं साथ साथ
कुछ बीच राह बिछड़ते हैं।
साथ चले जो पग राहों में
अभिप्राय उन्हीं के बनते हैं।
शब्दों का पर्याय जहाँ हो
संबंध वहीं पर खिलते हैं।।
सबके मन के भावों को
पिरो बना मोती की माला
एक पंक्ति में भगवद्गीता
दूजे में यज्ञों की ज्वाला।
यज्ञ जहाँ पर होते हैं
उपहार वहीं पर मिलते हैं
शब्दों का पर्याय जहाँ हो
संबंध वहीं पर खिलते हैं।।
कर्तव्यों की ड्योढ़ी पर ही
अधिकार फला फूला करते
जहाँ सुमति है परिवारों में
पुण्य प्रभाव मिला करते।
अधिकारों को सम्मान वहीं
कर्तव्य सभी मिल करते हैं
शब्दों का पर्याय जहाँ हो
संबंध वही पर खिलते हैं।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
02जून, 2021
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