तुम हमारे हो ना पाए।

तुम हमारे हो ना पाए।   

नयन में भर नीर कितने
एक दिन तुमने कहा था
है बहुत अफसोस तुमको
गीत संग संग गा ना पाए
तुम हमारे हो ना पाए।।

था वो नदिया का किनारा
हो गया बोझल सहारा
अधरों में कंपन बहुत था
मुक्त लेकिन मिल न पाए
तुम हमारे हो ना पाए।।

था हृदय में शोर कितना
पर जगत था मौन सारा
सुन रही थी साँझ चुप हो
बात लेकिन कह न पाए
तुम हमारे हो ना पाए।।

शेष थे जो शब्द झलके
अश्रु बन पलकों से छलके
स्वयं से था तब मैं हारा
वो गीत फिर से गा न पाए
तुम हमारे हो ना पाए।।

अब तुम कहीं औ मैं कहीं
पर रास्ते अब भी वहीं
चल रहीं राहें अभी तक
लेकिन हम तुम चल न पाए
तुम हमारे हो ना पाए।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
       हैदराबाद
       01जून, 2021

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें

 प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें एक दूजे को हम इतना अधिकार दें, के प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें। एक कसक सी न रह जाये दिल में कहीं, ...