अजनबी रात अपनी हो गयी।

अजनबी रात अपनी हो गयी।  

अजनबी थी रात कल जो
आज अपनी हो गयी है
ख्वाब में थी बात की जो
बात अपनी हो गयी है।।

तुम जो आये जिंदगी में
ख्वाब में उड़ने लगे हम
साथ तेरे गीत कितने
प्रीत के बुनने लगे हम।
कल तलक जो दूर हमसे
साज अपने हो गए हैं।
अजनबी थी रात कल जो
आज अपनी हो गयी है।।

दो नैनों ने कह डाली
मन की वो सारी बातें
तुम बिन कैसे दिवस ढले
कैसे काटी हैं रातें।
कल तलक जो बेगानी थी
रात अपनी हो गयी है।
अजनबी थी रात कल जो
आज अपनी हो गयी है।।

चाहता है दिल हमारा
ये रात यूँ सजती रहे
चाँदनी का ये सफर अब
यूँ साथ ही चलती रहे।
दिल में अभी तक जो छुपे
राज अपने हो गए हैं।
अजनबी थी रात कल जो
आज अपनी हो गयी है।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        10मई, 2021

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