किरण प्रभाती।
प्रतिदिन उल्लासित करती है
मन में नूतन भाव जगाकर
नव भाव प्रभासित करती है।
अलसाई सुबह में इसको
चेतन, हुलास भरते देखा
जग के झंझावत में इसको
नूतन विलास भरते देखा।
आकांक्षा, उत्साह प्रेम का
नव भाव दिलों में भरती है।
किरण प्रभाती रवि के रथ से
प्रतिदिन उल्लासित करती है।।
भिन्न भिन्न व्यवहार यहाँ हैं
भिन्न भिन्न आधार यहाँ
भिन्न भिन्न हैं मूल सभी के
भिन्न भिन्न सत्कार यहाँ।
एक सूत्र सब भाव पिरोकर
जग अनुशासित करती है।
किरण प्रभाती रवि के रथ से
प्रतिदिन उल्लासित करती है।।
नहीं निराशा का भाव कभी
ये मन में जगने देती
कुण्ठा या अवसाद कभी भी
मन में ना पलने देती।
देती सबको ज्ञान मनोहर
दिवस प्रकाशित करती है
किरण प्रभाती रवि के रथ से
प्रतिदिन उल्लासित करती है।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
09अप्रैल, 2021
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